भा.कृ.अनु.प.-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय द्वारा शुरू किये गये ‘गाजरघास जागरूकता सप्ताह‘ कार्यक्रम के अंतर्गत ग्राम बोरिया, कटंगी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें आस-पास के किसानों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। खरपतवार निदेशालय के निदेशक डॉ पी.के. सिंह ने किसानों से गाजरघास को अपने-अपने खेतों से उखाड़कर उससे जैविक खाद बनाने का आह्वान किया। डॉ. सिंह ने बताया कि गाजरघास प्रकाश, नमीं, स्थान, हवा इत्यादि के लिये फसलों से प्रतिस्पर्धा करते हैं जिससे फसल को भारी नुकसान होता है। यांत्रिक, जैविक रासायनिक विधि से खरपतवार नियंत्रण कम खर्च में किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि निदेशालय कई गावों में ‘मेरा गांव मेरा गौरव‘ के तहत् गाजरघास को नियंत्रण करने का कार्य किया जा रहा है। इस अवसर पर निदेशक डॉ. सिंह ने 20 किसानों को गाजरघास को खाने वाले मैक्सिकन बीटल के डिब्बों को उपहार स्वरूप भेंट दिया।
गाजरघास जागरूकता सप्ताह के राष्ट्रीय संयोजक एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि गाजरघास हमारे देश का खरपतवार नही है वरन् यह 1955 में मैक्सिको से आयातित गेहूं के साथ आ गया था। यह पौधा मनुष्यों एवं जानवरों में रोग पैदा करता है। यह फसलों, पर्यावरण और जैव विविधता के लिये एक बड़ा खतरा है। यह आयोजन लोगो को जागरूक करने के लिये 16-22 अगस्त तक पूरे देश में मनाया जा रहा है।
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आर.पी. दुबे ने गाजरघास को रासायनिक विधि से नियंत्रण करने के बारे में बताया और डॉ. शोभा सांधिया ने कृषकों को रसायनों का उपयोग उचित मात्रा में करने की सलाह दी। इस कार्यक्रम में स्कूल के प्राध्यापकों और छात्रों ने भी भाग लिया। निदेशालय की तरफ से कार्यक्रम में निदेशालय से डॉ. भूमेश कुमार, डॉ. चेतन, श्री पारे, श्री डोंगरे तथा क्षेत्रीय नागरिकों की तरफ से श्री राम कृष्ण यादव, दादा भाई यादव एवं श्री अरविंद राजपूत इत्यादी उपस्थित थे। मंच संचालन डॉ. वी.के. चौधरी और धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. योगिता द्वारा किया गया।