भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने देश में खरपतवार अनुसंधान को सुदृढ़ करने के लिए 1978 में अखिल भारतीय समन्वित खरपतवार नियंत्रण अनुसंधान परियोजना शुरू की थी। जबलपुर में 1989 में राष्ट्रीय खरपतवार विज्ञान अनुसंधान केंद्र की स्थापना की जो वर्तमान मे खरपतवार अनुसंधान निदेशालय के नाम से कार्यरत है। यह देश में ही नहीं बल्कि विश्व में खरपतवार अनुसंधान पर कार्य करने वाला अनूठा संस्थान हैं। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में गाँवों में बसने वाले जनसमुदाय में अशिक्षा के कारण जनसंख्या में निरंतर तेजी से वृद्धि हो रही हैं। जिससे खाद्यान्नों की मांग को पूरा करना एक गंभीर चुनौती बनती जा रही हैं। भारतीय किसान उन्नत किस्म के बीज, उपयुक्त उर्वरक, नियमित सिंचाई तथा पादप सुरक्षा के विभिन्न उपायों जैसे उत्पादन साधनों को वैज्ञानिक विधि से अपनाकर भी कृषि से अधिकाधिक उत्पादन प्राप्त करने के अपने लक्ष्य में अब भी पूर्णतया सफल नहीं हो पा रहे है। इसका मुख्य कारण हैं कि वे नवीनतम तकनीकों के प्रयोग के साथ-साथ खरपतवार नियंत्रण पर समुचित ध्यान नहीं देते हैं। किसान को यदि अपने खेतों से भरपूर उत्पादन एवं पर्याप्त लाभ प्राप्त करना है तो फसल शत्रु खरपतवारों पर नियंत्रण पाने के महत्व को समझकर उन्हें नष्ट करना ही होगा। खरपतवारों से फसल की उपज सामान्यतः 20 से 50 प्रतिशत तक कम हो जाती हैं।
एक ही फसल में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग प्रकार के खरपतवार पाये जाते है। इसके साथ साथ देश में विदेशो से आये खरपतवारों से ज्यादा खतरा बढ गया है, ये खरपतवार जैसे गाजरघास, जलकुंभी, आइपोमिया आदि जो जहां भी है भयंकर रूप धारण किये हुये है, इनका नियंत्रण देश के लिये चुनौती स्वरूप है। इस निदेशालय व्द्वारा फसलों एवं फसल चक्रो में खरपतवारों के नियंत्रण हेतु विभिन्न विधियाँ विकसित की गई हैं, जिनके समेकित उपयोग से खरपतवार नियंत्रण अब स्वतंत्र एवं सामूहिक रूप से संभव है । संस्थान निदेशक डॉ. जे.एस. मिश्र ने बताया कि यदि खरपतवार प्रबन्धन के समुचित तरीकों को अपनाया जावे तो न केवल वर्तमान खाद्यान्न समस्या को हल किया जा सकता है। बल्कि भविष्य की आवष्यकता की भी पूर्ति की जा सकती है। निदेशालय द्वारा अभी हाल ही में प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडे कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की उपस्थिति में अनुसंधान और स्वरोजगार के लिए विक्रम विश्वविद्यालय में अध्ययनरत, शोधरत विद्यार्थियों को प्रशिक्षण और अन्य सुविधाएं देने के लिए एम.ओ.यू.किया है। इससे विश्वविद्यालय में अध्ययनरत, शोधरत विद्यार्थियों को अनुसंधान के लिए वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन भी मिलेगा एवं खरपतवारों को खत्म करने में मदद मिलेगी। विद्यार्थी यह भी जान सकेंगे कि जो खरपतवार किसी काम की नहीं थी, उनका उपयोग कैसे किया जा सकता है। संस्थान विद्यार्थियों को ट्रेनिंग प्रदान करेगा जिसमें खरपतवार से केंचुआ खाद, बायो गैस के उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जायेगा जो स्वरोजगार के लिए नई राह खोलेगा।
खरपतवार अनुसंधान निदेशालय द्वारा विभिन्न राष्ट्रीय संस्थानों से प्रशिक्षण, तकनीकी हस्तांतरण एवं संयुक्त रुप से अनुसंधान करने हेतु अनुवंध किये है जिसमें उच्च शिक्षा उत्कृष्ट संस्थान भोपाल, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, जवाहरलाल नेहरु कृषि वि.वि. जबलपुर, अनुराग नारायण कॉलेज पटना, इन्द्रिरा गांधी कृषि वि.वि. रायपुर, महत्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय वि.वि. चित्रकूट, अदामा इंडीया प्रा.लि. हैदराबाद, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून, यूपीएल प्रा.लि. मुम्बई, राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान रायपुर प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट फिलिपीन्स, से अनुवंध हेतु प्रयास किया जा रहा है ।