खरपतवार अनुसंधान निदेशालय जबलपुर के परिसर में दिनांक 13 अक्टूबर 2021 को हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ‘‘उत्तर पूर्व राज्यो की प्रगती में उर्जा की महत्वता ’’विषय पर व्याख्यान श्री राधाकृष्णन, चेयरमैन, त्रिपुरा विद्युत नियामक आयोग, द्वारा प्रदान किया गया। निदेशालय के निदेशक डॉ.जे.एस.मिश्र ने कहा कि आज विद्युत का उपयोग हमारी दिनचर्या का अंग हो गया है। पारम्परिक तरिको से उत्पादित विद्युत दिनों दिन बढ़ती मॉग को पूरा करने में कम पडती जा रही है इसलिए प्रकृति में उपलब्ध विभिन्न उर्जा स्त्रोतो का उपयोग नितांत आवश्यक हो जाता है। कृषि की सारी तकनीकों के सुचारू संचालन हेतु ऊर्जा की आवष्यकता होती है, बिना ऊर्जा के कृषि कार्य संभंव नही है।
श्री डी.राधाकृष्णन त्रिपुरा विद्युत नियामक आयोग ने कहा कि भारत की लगभग 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रो में निवास करती है। वर्तमान समय में देश की प्रगति को गति प्रदान करने यह आवश्यक है कि ग्रमीण क्षेत्रों में उर्जा की उपलब्धता को सुनिष्चित किया जायें। आज भी ग्रामीण ओर शहरी क्षेत्रों के बीच प्रति व्यक्ति उर्जा की खपत में काफी अंतर है। आज भी सुदूर उत्तर पूर्व का क्षेत्र या अन्य क्षेत्रो के ग्रामीण परिवार प्रकृतिक संसाधनो से उत्पन्न उर्जा का उपयोग करते है जैसे लकड़ी, गोबर, सौर उर्जा, जबकि शहरी क्षेत्रो में इन्ही कार्यो हेतु करीब 90 प्रतिषत परिवार विद्युत तथा 10 प्रतिशत केरोसीन पर निर्भर है। हमें आज के दौर में सौर उर्जा, पवन उर्जा, जैव ईधन जैसे प्रकृतिक उर्जा स्त्रोतो को अपनाने पर जोर देना चाहिये।
प्रधानमंत्री कुसुम योजना यानि प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री कुसुम योजना के जरिए किसानों की आय मे तेजी से वृद्वि हो सकती है किसान अपने खेत की अनुपजाऊ जमीन पर खुद या किसी निवेशक के साथ सोलर संयंत्र की स्थापना करके अपने उपयोग के पश्चात अतिरिक्त बिजली बेचकर नियमित आय के स़्त्रोत बढ़ा सकता है। कार्यशाला में निदेशालय के 80 से ज्यादा अधिकारियों, कर्मचारियों ने हिस्सा लिया । मुख्य अतिथि का स्वागत निदेशक डॉ.जे.एस.मिश्र द्वारा किया गया । अतिथि परिचय डॉ. वी.के चौधरी एवं मंच संचालन बसंत मिश्रा ने किया ।