खरपतवार अनुसंधान निदेशालय जबलपुर के परिसर में कृषकों हेतु हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर “उर्वरको का दक्ष एवं संतुलित उपयोग” विषय पर व्याख्यान डॉ. विजय कुमार चौधरी, वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा दिया गया।
निदेशालय के निदेशक डॉ.जे.एस.मिश्र कहा कि आज “उर्वरको का दक्ष एवं संतुलित उपयोग” विषय आयेजित कार्यशाला महत्वपूर्ण व रोचक है इससे प्राप्त जानकारी समस्त अधिकारियो, कर्मचारियों एवं कृषकों हेतु बहुत उपयोगी, ज्ञानवर्धक एवं लाभदायक रहेगी। राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा निदेशालय में समय-समय पर हिन्दी कार्यशालाओं का आयोजन करने से हिन्दी प्रचार-प्रसार बढ़ाने के साथ-साथ उपयोगी एवं ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त होती है जो प्रशंसनीय है। डॉ. विजय कुमार चौधरी ने कहा कि खेतो मे जल प्रबंधन एवं खरपतवार प्रबंधन में उर्वरको की दक्षता को कैसे बढ़ाया जावे साथ ही उर्वरक उपयोग की प्रमुख पद्धति के बारे में जानकारी प्रदान की।
डॉ. चौधरी ने बताया कि उर्वरको का प्रयोग करते समय खेतो मे नमी का होना आवश्यक है, सूखी मिट्टी में उर्वरको का प्रयोग नही करना चाहिए। खरपतवारों का नियंत्रण बुवाई से पहले प्री-इमरजेंट का प्रयोग कर करना चाहिए और यदि बुवाई के बाद भी कुछ खरपतवार आ जाते है तो पोस्ट-इमरजेंट का प्रयोग करना चाहिए। तिलहनी फसलो में सल्फर के प्रयोग से तेल की अच्छी मात्रा प्राप्त कर सकते है प्रत्येक उर्वरक का संतुलित मात्रा में प्रयोग मृदा की उर्वरता को बनाए रखता है एवं साथ-साथ कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाता है। उर्वरको के संतुलित मात्रा में उपयोग, कम्पोस्ट खाद, हरी खाद, जैविक खाद के संतुलित मात्रा में उचित उपयोग कर हम मृदा के स्वास्थ्य को बनाए रखते हुए अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते है। कार्यशाला में निदेशालय के 80 से ज्यादा अधिकारियों, कर्मचारियों एवं कृषकों ने हिस्सा लिया । मंच संचालन एवं आभार बसंत मिश्रा प्रभारी राजभाषा ने किया ।