खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर के तत्वाधान में दिनांक 16 अगस्त से 22 अगस्त के दौरान 06 स्कूलों, 03 गांवो में जागरूकता प्रोग्राम, रेली निकालना, गाजरघास को उखाड़ना, चित्र प्रदर्शनी, वर्कशॉप, जैविक कीटो को छोड़ना एवं वितरण आदि कार्यक्रम किये गए। इसी के साथ सी.आर.पी.एफ. मोकामा, पटना (बिहार), कोल्ड फिशरिज संस्थान, भीमताल, उत्तराखंड और रिलायंस फाउंडेशन के साथ मिलकर मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के किसानों से ऑनलाइन लाइव संवाद के साथ प्रोग्राम किये गये। समापन कार्यक्रम भारत सरकार के फार्मर फस्ट प्रोग्राम के अर्न्तगत ग्राम भिडारीकला बरौदा में आयोजित किया गया जिसमें आसपास के ग्रामों से लगभग 200 किसानों ने भाग लिया।
निदेशक डॉ. जे.एस. मिश्र ने बताया कि गाजरघास एक समस्या कारक खरपतवार है जो फसलो एवं उद्यानों मे उत्पादकता को कम करने के अलावा पर्यावरण और जैव विविधता के लिए एक गंभीर खतरा माना गया है। इस खरपतवार में बीज उत्पादन की विपूल क्षमता के साथ बीज सुशुस्पता नही होती है जिस कारण वर्षभर फलता फूलता रहता है। गाजरघास से मनुष्य एवं जानवरों मे अनेकों प्रकार की बीमारियां जैसे- दमा और त्वचा रोग फैलता है। इन्ही कारणों से लोगो का इससे होने वाली क्षति और इसके समाधान के उपायो के लिए जागरूक करने के लिए पूरे देश में जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है।
कार्यक्रम के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. सुशील कुमार, प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि यह कार्यक्रम 713 कृषि विज्ञान केन्द्रों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सभी संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों के माध्यम से देशभर में मनाया गया। कार्यक्रम में निदेशालय के डॉ.आर.पी.दुबे, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ.के.के.वर्मन, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ.पी.के.मुखर्जी, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ.वी.के चौधरी, वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ.दीपक पवार, श्री चेतन सी.आर, श्री दिवाकर राय, डॉ.हिमांशु महावर सरपंच श्रीमती रिंकी चडार तथा जितेंन्द्र दुबे उपस्थित रहे।