भा.कृ.अनु.प.-खरपतवार अनुसन्धान निदेशालय, जबलपुर एवं मंगलायतन विश्वविद्यालय, जबलपुर के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 21 अगस्त 2023 को मंगलायतन विश्वविद्यालय, जबलपुर में गाजरघास नियंत्रण पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. जे. एस. मिश्र, निदेशक, खरपतवार अनुसन्धान निदेशालय; डॉ. ए. के. मिश्र, कुलपति, मंगलायतन विश्वविद्यालय; डॉ. पी. के. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक; डॉ वी. के. चौधरी, वरिष्ठ वैज्ञानिक; डॉ. दीपक पवार, वैज्ञानिक; श्री. एम. के. मीना, तकनिकी अधिकारी उपस्थित हुए।
विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यशाला में ऑडियो विजुअल प्रेजेंटेशन के माध्यम से गाजरघास से उत्पन्न समस्याओं के विषय में बताया गया तथा उसके रोकथाम के लिए अलग-अलग माध्यमों के विषय में जानकारी दी गई। डॉ. जे. एस. मिश्र ने गाजरघास से होने वाले चर्म रोग के विषय में बताया गया। साथ ही उन्होंने किसानों को मार्गदर्शित करते हुए कहा कि हमें किस तरह गाजर घास से स्वयं को सुरक्षित रखना है। डॉ. पी.के. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक ने इस अवसर बताया कि गाजरघास (पारथेनियम हिस्टेरोफोरस) मनुष्य, पशुओं, फसलों, जैव विविधता व पर्यावरण के लिए एक गंभीर समस्या है। इससे श्वांस व त्वचा संबंधी रोग होने का खतरा है।
गाजरघास के प्रभावी नियंत्रण में सर्वाधिकि कारगर उपाय जैविक विधि है। मेक्सकिन बीटल (जाइमोग्रामा बाइकोलोराटा) कीट केवल गाजरघास को खा कर और सूखा कर नष्ट कर देता है। उन्होंने बताया कि किसान भाई यह कीट खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर से ले जाकर खेतों तथा गाजरघास से प्रभावित क्षेत्रों में छोड़ सकते हैं जो इस पौधे को खाकर नष्ट कर देता है यह किट अन्य किसी भी फसल को नुकसान नहीं पहुंचाता है। उन्होंने हमें किस तरह गाजरघास से स्वयं को सुरक्षित रखना है इसके बारे में भी जानकारी दी। कार्यक्रम के अतिथि गण, विद्यालय परिवार एवं छात्र छात्राओं ने गाजरघास उन्मूलन जागरूकता कार्यक्रम रैली निकालकर और गाजरघास उखाड़कर गाजरघास जागरूकता संदेश भी दिया।