दिनांक 21 अगस्त 2024 को, भाकृअनुप-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर द्वारा शासकीय कन्या महाविद्यालय, रांझी, जबलपुर के सहयोग से गाजरघास जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्र-छात्राओं को गाजरघास के हानिकारक प्रभावों के प्रति जागरूक करते हुए उसके प्रबंधन के बारे में जानकारी प्रदान करना था। जिससे समाज में इस हानिकारक खरपतवार के प्रति जन चेतना आए एवं सामाजिक भागीदारी से इसका उन्मूलन किया जा सके। कार्यक्रम की अध्यक्षता भाकृअनुप-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर के निदेशक डॉ. जे.एस. मिश्र ने की, और समन्वयन खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पी.के. सिंह एवं शासकीय कन्या महाविद्यालय, रांझी की प्राचार्या डॉ. वीणा बाजपेयी द्वारा किया गया।
इस कार्यक्रम में लगभग 175 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें छात्राएं, प्रोफेसर और महाविद्यालय का स्टाफ शामिल था। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. बाजपेयी के प्रारंभिक वक्तव्य से हुई, इसके बाद डॉ. पी.के. सिंह द्वारा गाजरघास के हानिकारक प्रभावों और इसके प्रबंधन के उपायों पर विस्तृत व्याख्यान दिया गया। डॉ. जे.एस. मिश्र ने गाजरघास से संबंधित विभिन्न वैज्ञानिक तथ्यों को सरल भाषा में वर्णन किया गया और उनके उपयोग के तरीकों पर भी चर्चा की गई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छात्र-छात्राओं के बीच गाजरघास और इसके पर्यावरणीय खतरों के प्रति जागरूकता पैदा हो जिससे समाज में इसके रोकथाम के लिए एक जनचेतना विकसित हो एवं जनभागीदारी से इस विषैले खरपतवार की रोकथाम किया जा सके। महाविद्यालय में आयोजित इस कार्यशाला में ऑडियो विजुअल प्रेजेंटेशन के माध्यम से गाजरघास से उत्पन्न समस्याओं के विषय में बताया गया तथा उसके रोकथाम के लिए अलग-अलग माध्यमों के संबंध में जानकारी दी गई। कार्यक्रम के दौरान, गाजरघास के प्राकृतिक शत्रु, मैक्सिकन बीटल, के जीवांत नमूनों की पहचान कराई गई। छात्राओं और प्रोफेसरों को मैक्सिकन बीटल के बॉक्स वितरित किए गए, जिन्हें गाजरघास से ग्रस्त क्षेत्रों में छोड़ने के लिए प्रेरित किया गया। तदुपरांत, कार्यक्रम के अतिथिगण, विद्यालय परिवार एवं छात्राओं ने रैली निकालकर गाजरघास जागरूकता संदेश दिया एवं मैक्सिकन बीटल्स को महाविद्यालय परिसर और उसके आसपास के क्षेत्रों में छोड़ा गया।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर भाकृअनुप-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर के वैज्ञानिक, डॉ. अर्चना, डॉ. दीपक पवार, डॉ. जे.के. सोनी, और डॉ. दीक्षा एम.जी., तकनीकी अधिकारी श्री एम.के. मीणा और अन्य सहायक स्टाफ, तथा शासकीय कन्या महाविद्यालय, रांझी के प्रोफेसर, अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।