खरपतवारों का प्रबन्धन आज की मूलभूत कृषि आवष्यकताओं में से एक है फसलों में खरपतवारों से होने वाली हानि को रोकने और कृषकों को फसलो के उत्पादन का पूर्ण लाभ प्राप्त कराने में खरपतवार प्रबन्धन बहुत महत्वपूर्ण है। खरपतवार निदेषालय द्वारा खरपतवार प्रबन्धन पर किए जा रहे अनुसंधान एवं जनजागरण प्रयास प्रषंसनीय हैं। इसके अतिरिक्त खरपतवार नियन्त्रण हेतु रणनीति एवं सामुदायिक पहल की आवष्यकता है। उक्त उदगार डॉ.पी.के मिश्रा निदेषक अनुसेधान सेवायें जवाहरलाल कृषि विष्वविघालय जबलपुर ने खरपतवार अनुसंधान निदेषालय जबलपुर में उन्नत फसल उत्पादन हेतु नवीन खरपतवार प्रवंधन रणनीतियॉं विषय पर आयोजित 5 दिवसीय प्रशिक्षण 17-21 फरवरी 2020 के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि की आसंदि से कही । राज्य कृषि प्रवंधन संस्थान लखनउ उत्तर प्रदेष सरकार द्वारा प्रायोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उत्तर प्रदेष के विभिन्न जिलो से 35 प्रषिक्षार्थी भाग ले रहे है । डॉ.मिश्रा ने आगे कहा कि खरपतवारों के प्रबन्धन के साथ- साथ इसके नियंत्रण की समुचित जानकारी एवं इसके नियंत्रण हेतु जागरूकता कृषको के खेतो तक पहुचना आवष्यक है । इस हेतु खरपतवार निदेषालय की सामूहिक पहल से खरपतवार नियंत्रण के अच्छे परिणाम सामने आयेगें।
निदेशक डा. पी.के सिंह एवं प्रशिक्षण संयोजक ने सभी का स्वागत करते हुये खरपतवार प्रबंधन तकनीक पर आयोजित प्रशिक्षण की 5 दिवसीय रूप रेखा पर विस्तार से चर्चा की एवं इसके महत्व को बताया । डॉ. सिंह ने बताया कि खरपतवार फसलों के साथ पोषक तत्वों नमीं प्रकाष एवं स्थान के लिए प्रतिस्पर्धा कर फसलों की बढ़वार को प्रभावित करते हैं जिससे फसल का उत्पादन एवं गुणवत्ता दोनों प्रभावित होते हैं। डा. सिंह ने बताया कि वैसे तो आज भारत में अनेकों देषी एवं विदेषी खरपतवार बहुतायत में मिल रहे हैं तथा इनके नियंत्रण हेतु अनेक प्रकार की विधियों को अपनाया जा रहा है 21 वीं सदी के प्रारंभिक छह वर्षो में कृषि उत्पादन की औसत वृद्वि दर मात्र 2 प्रतिषत से कम होना बड़ी चिंता का विषय बन गया हैं जिससे देष का सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी प्रभावित हो रहा हैं देष में खेती की पैदावार लगभग सभी फसलों में या तो स्थिर हो गयी हैं या उसमें कमी आ रही हैं ।
देष के तिलहनी व दलहनी फसलो के उत्पादन में आ रही इस कमी को उन्नत कृषि तकनीक एवं खरपतवार प्रबंधन के माध्यम से पूरा करने के साथ ही खाद्यान्न उत्पादन में 20 से 25 प्रतिषत की वृद्वि की जा सकती है। खरपतवार प्रबंधन में आने वाली मुख्य समस्याओं जैसे जंगली धान जलीय खरपतवार नियंत्रण जलवायु परिवर्तन का खरपतवारों पर प्रभाव संरक्षित खेती जैविक खेती आक्रमणकारी खरपतवार एवं विभिन्न फसलों में खरपतवार नियंत्रण आदि पर 5 दिवसीय प्रषिक्षण में विस्तृत चर्चा की जाएगी। प्रशिक्षण समारोह में निदेषालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रषिक्षण संयोजक डॉ.वी.के.चौधरी द्वारा आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम में प्रशिक्षण सह संयोजक इंजी. चेतन एवं निदेषालय के समस्त वैज्ञानिक एवं अधिकारी प्रमुख रूप से उपस्थित थे। मंच संचालन डॉ.योगिता घरडे ने किया।