खरपतवारों का प्रबन्धन खेती किसानी की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है, फसलों में खरपतवारों से होने वाली हानि को रोकने और कृषकों को फसलो के उत्पादन का पूर्ण लाभ प्राप्त कराने में खरपतवार प्रबन्धन बहुत महत्वपूर्ण है। खरपतवार अनुसंधान निदेशालय द्वारा खरपतवार प्रबन्धन के आवश्यक पहलुओं को कृषकों तक पहुचाने के उद्देश्य से “फसलों में खरपतवार प्रवंधन एवं महत्व” विषय पर कृषक वेबिनार श्रंखला का शुभांरभ निदेशालय परिसर में 12 फरवरी 2021 को किया गया। कोविड की वैश्विक महामारी का ध्यान रखते हुए प्रत्येक माह कृषि/बागवानी संबधित विभिन्न विषयों पर कार्यक्रम ऑन लाइन आयोजित किये जायेंगे। आज के कृषक वेबिनार में मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित जबलपुर जिले एवं अन्य ग्रामों से 200 कृषक (महिला/पुरुषो ) ने भाग लिया।
निदेशालय के निदेशक डॉ.जे.एस.मिश्र ने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा कि वैसे तो आज भारत में अनेकों देशी एवं विदेशी खरपतवार बहुतायत में मिल रहे हैं तथा इनके नियंत्रण हेतु अनेक प्रकार की विधियों को अपनाया जा रहा है खरपतवार नियंत्रण की आवश्यकता पर जोर देते हुए डॉ. मिश्र ने बताया कि वर्तमान में विभिन्न खरपतवारो से आज भारत के कृषि उत्पादन में लगभग एक तिहाई की कमी हो रही हैं| 21 वीं सदी के प्रारंभिक छह वर्षो में कृषि उत्पादन की औसत वृद्वि दर मात्र 2 प्रतिशत से कम होना बड़ी चिंता का विषय बन गया हैं जिससे देश का सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी प्रभावित हो रहा हैं| देश में खेती की पैदावार लगभग सभी फसलों में या तो स्थिर हो गयी हैं या उसमें कमी आ रही हैं । देश में फसलो के उत्पादन में आ रही इस कमी को उन्नत कृषि तकनीक एवं खरपतवार प्रबंधन के माध्यम से पूरा करने के साथ ही खाद्यान्न उत्पादन में 20 से 25 प्रतिशत की वृद्वि की जा सकती है। डॉ.मिश्र ने आगे कहा कि खरपतवारों के प्रबन्धन की विभिन्न तकनीकों की समुचित जानकारी एवं इसके प्रति जागरूकता कृषको के खेतो तक पहुचाना अति आवश्यक है। इस हेतु वेबिनार के माध्यम से मोबाईल द्वारा उन्नत तकनीक के प्रचार प्रसार के अच्छे परिणाम सामने आयेगें।
कृषक वेबिनार श्रंखला के संयोजक डॉ. पी.के. सिंह ने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा कि कृषि उत्पादन स्तर को ऊंचा करने के लिए उन्नत बीज उर्वरक एवं सिंचाई प्रबंधन समन्वित कीट-रोग प्रबंधन के साथ-साथ उचित खरपतवार प्रबंधन की विशेष आवश्यकता है। सामान्यतः यह देखा गया है कि उपरोक्त तकनीकों का प्रयोग करते समय खरपतवार प्रबंधन पर उचित ध्यान नही दिया जाता। जबकि खरपतवार कृषि उत्पादन में एक बड़ा अवरोधक है जिससे न केवल फसल उत्पादन को नुकसान होता है बल्कि गुण्वत्ता भी प्रभावित होती है। अतः इस कोरोना कॉल में किसानों तक तकनीकों को सरल शब्दों में पहुचाने के लिये कृषक वेविनार का आयोजन एक महत्वपूर्ण पहल है जिससे कृषक भाई बहिन अपने मोबाईल के माध्यम से जुडकर इसका पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते है तथा अपने प्रश्नों का विषेशज्ञों द्वारा समाधान भी प्राप्त कर सकते है। कार्यक्रम में निदेशालय के समस्त वैज्ञानिक, तकनीकी अधिकारी/ कर्मचारी उपस्थित थे। तथा कृषकों के प्रश्नों का उत्तर डॉ. आर.पी. दुबे एवं डॉ. वी.के. चौधरी द्वारा दिया गया।