होशंगाबाद जिले के बाबई तहसील के 40 प्रगतिशील कृषकों ने दिनांक 19 मार्च 2021, को डी.बी.टी. वित्त पोषित किसान बायोटेक परियोजना के तहत खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर में आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण सह भ्रमण कार्यक्रम में भाग लिया। निदेशालय के निदेशक डॉ. जे.एस. मिश्र ने शुक्करवाडा, निमसाडिया, कोठारिया एवं साकेत, गांव से आये कृषक भाईयों एवं बहनों को खरपतवार प्रबंधन के महत्व के बारे में तथा समन्वित कीट प्रबंधन, खाद एवं उर्वरक का समुचित उपयोग के बारे में कार्यक्रम के दौरान विस्तार से बात रखी। डॉ. मिश्र ने बताया कि किस तरह खरपतवारों के द्वारा हमारी फसलों के स्थान, पानी, पोषक तत्व एवं सूर्य का प्रकाश से संघर्ष करना पड़ता है। जिससे हमारी फसलों को प्रत्यक्ष रूप से नुकसान उठाना पड़ता है इसके साथ-साथ खरपतवारों को समय रहते उचित विधियों के द्वारा समन्वित रूप से प्रबंधन कर फसलों में हो रही हानि को कम कर सकते है। डॉ. मिश्र ने किसानों को फसल उत्पादन के साथ-साथ बागवानी, दुग्ध उत्पादन, मछलीपालन तथा खाद्य प्रसंस्करण कर अधिक से अधिक लाभ अर्जित करने के बारे में बताया। डॉ. मिश्र ने यह भी बताया कि हमें फसलों की नरवाई को जलाने से बचना चाहिए एवं आवश्यकता के अनुसार नरवाई को उपयोग कर अतिरिक्त अवशेष को खेतों में ही रखना चाहिए। इससे सूक्ष्मजीवों की संख्या में वृद्धि होती है, तथा मृदा की गुणवत्ता में वृद्धि करता है एवं लम्बी अवधी तक इस विधि का उपयोग कर मृदा स्वास्थ्य को बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण को हो रही हानि को भी कम कर सकते है।
कार्यक्रम के समन्वयक एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पी.के. सिंह ने कार्यक्रम तथा परियोजना में चलाये जा रहे विभिन्न गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया एवं गेंहू के साथ-साथ अन्य फसलों में भी संरक्षित कृषि आधारित प्रदर्शन एवं उससे होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम के दौरान जिला-होशंगाबाद से आये हुई कृषक महिलाओं को कृषि क्षेत्र से जुड़े व्यवसाये जैसे समूह द्वारा खेती दाल मिल, पापड़ उद्योग, स्वसहायता समुह, इसी प्रकार और भी अन्य कृषि उद्योगों से अवगत कराया गया। डॉ सिंह ने इस अवसर पर किसानों को आहवाहन किया कि निदेशालय में चल रही विभिन्न अनुसंधान संबंधित गतिविधियों का जायज़ा ले एवं अपनी भूमि तथा वातावरण के अनुकूल जो तकनीक उपयुक्त हो उसका चयन कर अपनाये एवं अधिक से अधिक लाभ अर्जित करे। निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. के.के. बर्मन ने मृदा स्वास्थ्य का फसल उत्पादन में महत्व बताया एवं किन-किन विधियों से मृदा के स्वास्थ्य को बनाये रखा जाये के बारे में बताया तथा मृदा परीक्षण के लाभ एवं मृदा नमूना लेने की विधियों के बारे में विस्तृत जानकारी से अवगत कराया गया।
डॉ. वी.के. चौधरी, (वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा कृषक भाईयों एवं महिलाओं को निदेशालय में चल रही विभिन्न अनुसंधान कार्यक्रम एवं प्रदर्शन तथा बीज उत्पादन तकनीकी के बारे में जानकारी प्रदान की गयी। फसलों में खरपतवार प्रबंधन के साथ-साथ कीट व्याधियों से हो रहे नुकसान को कम करने की विभिन्न तरीकों के बारे में जानकारी दी गयी। कार्यक्रम के दौरान इंजी. चेतन सी.आर. (वैज्ञानिक) ने किसानों को कम लागत वाले कृषि उपकरण एवं यंत्रों के बारे में विस्तार से बताया, विशेष रूप से खरपतवारनाशी के उपयोग हेतु किस प्रकार के नोजल तथा प्रति एकड़ पानी की मात्रा के साथ निदेशालय के विभिन्न कृषि यंत्रों के बारे में बताया। कार्यक्रम में किसानों ने फसल एवं सब्जी उत्पादन में आ रही विभिन्न समस्याओं के बारे में बताया जिसका निदेशालय के वैज्ञानिकों के द्वारा समाधान बताया गया। इस दौरान श्री एस.के. पारे, श्री धर्मेद्र बघेले एवं जैनपाल राठौर के द्वारा कृषकों को निदेशालय एवं कृषि यांत्रिक कार्यशाला का भी भ्रमण कराकर जानकारी प्रदान की गई।