खरपतवार अनुसंधान निदेशालय में दिनाँक 14 सितम्बर, 2017 से प्रारंभ हुए हिन्दी पखवाडे़ का समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह दिनांक 28 सितम्बर, 2017 को आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रोफेसर धीरेन्द्र पाठक, विभागाध्यक्ष पत्रकारिता एवं संचार विभाग रानी दुर्गावति विश्वविद्यालय, जबलपुर एवं विशिष्ट अतिथि श्री राजेश मिश्रा, जबलपुर उपस्थित थे। हिन्दी पखवाड़े के दौरान निदेशालय में विभिन्न राजभाषा प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिनमें तात्कालिक निबंध प्रतियोगिता, शुद्ध लेखन, पत्र लेखन, आलेखन एवं टिप्पण प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगिता एवं क्विज कांटेस्ट प्रतियोगिता प्रमुख थी। प्रोत्साहन योजना के तहत् निदेशालय के वर्ष भर में 20000 शब्दों से अधिक हिन्दी शब्द लिखने वाले 4 अधिकारियों कर्मचारियों को वरीयता क्रम के आधार पर प्रथम, द्वितीय, नगद पुरस्कार निदेशक एवं अतिथियों के कर कमलों से प्रदान किये गये।
इस अवसर पर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के प्रभारी श्री जी आर डोंगरे, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी ने सभी अधिकारियों/कर्मचारियां का स्वागत करते हुये पखवाड़े के दौरान निदेशालय में हिन्दी के प्रचार-प्रसार हेतु किये गये कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी प्रदान की। निदेशालय के निदेशक डॉ पी के सिंह ने कहा कि निदेशालय में कार्यालयीन कार्यां का संपादन मुख्यतः हिन्दी में ही किया जा रहा है, तथा शोध पत्रों का भी हिन्दी में रूपांतरण किया जा रहा है। उनके द्वारा मुख्य अतिथि को निदेशालय के मुख्य उद्देश्यों को भी विस्तार से बताया गया। इसके बाद विजयी सभी प्रतियोगियों को निदेशक महोदय ने बधाई दी तथा उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
विशिष्ट अतिथि श्री राजेश मिश्रा जी ने सभागार में उपस्थित सभी लोगों को अपने हास्य व्यंगों से गुदगुदाया तत्पश्चात् मुख्य अतिथि प्रो पाठक जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी में केवल शुद्ध शब्दावली का उपयोग ही होता है, इसे जैसा लिखा जाता है, उसी तरह इसका उच्चारण भी होता है, ऐसा अन्य भाषाओं में नही पाया जाता। हिन्दी के स्वरों तथा व्यंजनों के विषय में मुख्य अतिथि महोदय ने विस्तार से अपने उद्बोदन में बताया। भाषा के विषय में जो व्यवस्था संवैधानिक तौर से पूर्व में बनाई गई थी, वह विधिवत् लागू नही हो सकी, क्योंकि त्रिभाषी व्यवस्था को साथ-साथ चलाया गया। हिन्दी के विशिष्ट विद्वानों के विषय में भी अतिथि महोदय द्वारा विस्तार से बताया गया, साथ ही विनोभा भावे द्वारा चलाये गये हिन्दी प्रचार-प्रसार के आंदोलन को भी उन्होंने बताया। अंत में निदेशालय के निदेशक डॉ पी के सिंह एवं मुख्य अतिथियों द्वारा विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किये गये।